लो ब्लड प्रेशर के कारण, लक्षण और उपचार: जानें कम ब्लड प्रेशर को कैसे करें नियंत्रित

Medically Reviewed by:Dr. Kanika
लो ब्लड प्रेशर के कारण, लक्षण और उपचार: जानें कम ब्लड प्रेशर को कैसे करें नियंत्रित

लो ब्लडप्रेशर (हाइपोटेंशन) को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, फिर भी यह कई लोगों के लिए एक गंभीर चिकित्सा समस्या हो सकती है। अगर आप लो ब्लड प्रेशर के कारणों, लक्षणों और उपचार को बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं, तो यह आपको इस स्थिति से निपटने और अपने संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकता है। अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों जैसे: "बीपी कितना होना चाहिए?", "बीपी कम क्यों होता है?", या "बीपी कम होने पर क्या करें?" के उत्तर देने के लिए एक गाइड में लक्षण, कारण और उपचार के विकल्प दिए होंगे।

ब्लड प्रेशर: इसकी सामान्य दर क्या है और यह कब लो होता है?

बहता हुआ रक्त धमनियों की दीवारों पर जो बल लगाता है, उसे ब्लड प्रेशर के रूप में जाना जाता है। सामान्य मानकों की मानें तो सामान्य ब्लड प्रेशर लगभग 120/80 mm Hg होता है। लो ब्लडप्रेशर आमतौर पर 90/60 mm Hg से नीचे किसी भी मान को माना जा सकता है, हालांकि यह मान किसी व्यक्ति की बेसलाइन रीडिंग और पूरे स्वास्थ्य के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। 

जहां हाई ब्लड प्रेशर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने के लिए जाना जाता है, वहीं लो ब्लड प्रेशर भी स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता है, क्योंकि इससे दिल, दिमाग और गुर्दे में ब्लड का फ़्लो कम होता है।

बीपी लो क्यों होता है? लो ब्लड प्रेशर के सामान्य कारण

हाइपोटेंशन के कई कारण हैं। ब्लड प्रेशर कम क्यों है, यह जानने से स्थिति से बेहतर ढंग से निपटने में मदद मिलेगी। हाइपोटेंशन के कुछ सामान्य कारण हैं:

  • डीहाइड्रेशन: इससे ब्लड की मात्रा कम हो जाती है जिससे ब्लडप्रेशर लो हो सकता है।
  • दवाएं: मूत्रवर्धक, अवसादरोधी दवाएं और दिल से संबंधी कुछ दवाएं ऐसे ज्ञात दुष्प्रभाव हैं जो बीपी को कम करते हैं।
  • पोषण संबंधी कमी: लो ब्लड प्रेशर पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकता है जो लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में असर डालते हैं, जैसे कि विटामिन B12, फ़ोलिक एसिड या आयरन की कमी।
  • एंडोक्राइन (अंतःस्रावी) विकार: हाइपोथायरायडिज्म, एड्रिनल की कमी, जिसे एडिसन रोग के नाम से जाना जाता है, और हाइपोग्लाइसीमिया कुछ ऐसे एंडोक्राइन विकार हैं, जो ब्लडप्रेशर को लो करते हैं।
  • दिल से जुड़ी समस्याएं: दिल से जुड़ी समस्याएं जैसे ब्रैडीकार्डिया (दिल की धीमी गति), वाल्व विकार या हर्ट फेलियर (दिल की विफलता) के कारण ब्लड को प्रभावी रूप से पंप करने दिल की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिसके कारण ब्लडप्रेशर लो हो सकता है।
  • गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान, आमतौर पर हार्मोनल परिवर्तन और सर्कुलेशन की बढ़ती ज़रूरतों के कारण बीपी कम हो जाता है।
  • बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण और अत्यधिक एलर्जिक प्रतिक्रियाएं: सेप्सिस या एलर्जिक प्रतिक्रियाएं जैसी स्थितियां जो एनाफिलैक्सिस (अतिरंजित प्रतिक्रिया) का कारण बन सकती हैं। जब ऐसी स्थितियां मौजूद होती हैं, तो व्यक्ति का ब्लडप्रेशर बहुत लो हो सकता है।

हाइपोटेंशन, लो ब्लड प्रेशर के लक्षणों को कैसे पहचानें

लो ब्लड प्रेशर के लक्षण गंभीरता के स्तर और कारण पर निर्भर करते हैं। लो ब्लडप्रेशर के इन लक्षणों में से कुछ को पहचाना जाता है ताकि समय रहते उनका इलाज किया जा सके। लो ब्लड प्रेशर के सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:

  • चक्कर आना और हल्का सिरदर्द: यह सबसे ज़्यादा बार और तुरंत होने वाले लक्षणों में से एक है जो बहुत जल्दी खड़े होने के कारण होता है।
  • नज़र धुंधली होना: समय-समय पर हाइपोटेंशन में आंखों में ब्लड फ़्लो ठीक से न होने के कारण नज़र के धुंधली होने का अनुभव हो सकता है।
  • थकान और कमज़ोरी: लो ब्लडप्रेशर के कारण थकान, ऊर्जा स्तरों में कमी या संपूर्ण कमज़ोरी हो सकती है।
  • बेहोशी या मूर्च्छा: लो ब्लड प्रेशर बेहोशी या मूर्च्छा का कारण बन सकता है, जो दिमाग में ब्लड फ़्लो में कमी के कारण अस्थायी चेतना की हानि होती है।
  • मतली और चक्कर आना: पाचन तंत्र और दिमाग में ब्लड फ़्लो के कम स्तर के कारण मतली और असावधानी उत्पन्न हो सकती है।
  • ठंडी, चिपचिपी त्वचा: यह लो ब्लड प्रेशर से उत्पन्न सदमे का लक्षण है और इस पर अब ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है।
  • शैलो और तेज़ सांस लेना कम ब्लड फ़्लो का संकेत है, जिसके कारण शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है।

जब लो ब्लड प्रेशर के ये लक्षण बार-बार होते हैं, तो उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

लो ब्लड प्रेशर को कैसे कम करें: घरेलू उपचार और चिकित्सा उपचार

लो ब्लडप्रेशर को अक्सर जीवनशैली बदलकर, आहार में बदलाव करके और कुछ परिस्थितियों में दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए, यहां ऐसे कुछ चरण दिए गए हैं जिन्हें आपको लो ब्लडप्रेशर में अपनाना चाहिए, और साथ ही साथ कुछ उपचार विकल्प भी दिए गए हैं जो मददगार हो सकते हैं:

1. हाइड्रेशन बेहद ज़रूरी है:

हाइपोटेंशन के प्रमुख कारणों में से एक डीहाइड्रेशन है। पर्याप्त पानी पीने से ब्लड की मात्रा को स्थिर रखने और बीपी में अचानक कमी को रोकने में मदद मिल सकती है।

सुझाव: पानी का सेवन गर्म दिनों में और व्यायाम के बाद अधिक मात्रा में करें। पानी को एक इलेक्ट्रोलाइट घोल के साथ मिलाएं जो शरीर के अंदर द्रव स्तर का संतुलन बनाए रखता है।

2. ज़्यादा से ज़्यादा नमक का सेवन (चिकित्सकीय देखरेख में):

वैसे तो नमक को ब्लडप्रेशर बढ़ाने के लिए जाना जाता है, इसलिए इसे इस्तेमाल करने वाले मरीज़ तब तक सामान्य व शांत रहते हैं, जब तक इसका असर बना रहता है, लेकिन ज़्यादा नमक का सेवन एक अच्छा विचार नहीं है, क्योंकि यह कुछ स्वास्थ्य स्थितियों पर स्ट्रेस/असर डाल सकता है।

सुझाव: चिकित्सकीय देखरेख में थोड़ी मात्रा में नमक लेना ज़रूरी है क्योंकि ज़्यादा नमक लेना दिल में स्ट्रेस पैदा कर सकता है

3. थोड़े-थोड़े समय में भोजन का सेवन:

ज़्यादा मात्रा में भोजन करने से भोजन के बाद हाइपोटेंशन हो सकता है, जिसमें भोजन के बाद बीपी में गिरावट होती है। कम मात्रा में संतुलित भोजन करने से बीपी में तीव्र गिरावट से बचा जा सकता है।

सुझाव: पूरे दिन प्रोटीन और जटिल कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के साथ कम-कम मात्रा में, बार-बार भोजन लें।

4. कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स:

कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पैरों में ब्लड के जमाव को रोकने, ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने और ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं।

सुझाव: यह विधि ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन वाले मरीज़ के लिए फायदेमंद है, जो उठने पर बीपी में गिरावट का अनुभव करता है।

5. कैफ़ीन का सेवन (संयमित मात्रा में प्रयोग करें):

संयमित मात्रा में कैफ़ीन का सेवन कुछ समय के लिए राहत प्रदान कर सकता है, लेकिन यह लो ब्लड प्रेशर से निपटने के लिए एक स्थायी समाधान नहीं है।

सुझाव: बीपी को कंट्रोल करने के लिए चाय या कॉफ़ी जैसे कैफ़ीन वाले पेय का सही मात्रा में सेवन करें। इनका सेवन ज़्यादा न करें क्योंकि इससे डीहाइड्रेशन हो सकती है।

6. दवाएं (अगर ज़रूरी हों):

अगर जीवनशैली बदलने के बाद भी हाई बीपी नियंत्रित नहीं हो पाता है तो डॉक्टर फ्लूड्रोकोर्टिसोन जैसी दवा लिखेंगे।

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चिकित्सा संबंधी देखभाल कब लेनी चाहिए

वैसे हल्के लक्षणों को कभी-कभी घर पर ही ठीक किया जा सकता है, लेकिन ज़्यादा गंभीर लक्षण (बेहोशी, भ्रम, या ठंड लगना, चिपचिपी त्वचा) या जो लगातार आपकी शरीर में बने रहते हैं, उनकी जांच स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा की जानी चाहिए। चिकित्सकीय देखभाल लें अगर:

  • आपके लक्षण गंभीर या लगातार बने रहते हैं।
  • आप अपने ब्लडप्रेशर में अचानक, बिना किसी कारण के कमी का अनुभव कर रहे हैं।
  • लो ब्लड प्रेशर के साथ सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या या कमज़ोरी भी होती है।

स्वस्थ बीपी के लिए निवारक उपाय

बार-बार होने वाले अटैक को रोकने के लिए कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं, खास तौर पर उन लोगों में जो लो ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं:

  • स्वस्थ आहार: पर्याप्त पोषक तत्व लें, खास तौर पर वे पोषक तत्व जो रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मददगार होते हैं, जैसे कि आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12.
  • नियमित व्यायाम व्यवस्था: मध्यम व्यायाम सर्कुलेशन को सामान्य रखता है, जो ब्लड प्रेशर को सामान्य सीमा के भीतर रखने में मदद करता है।
  • शराब का सीमित सेवन: ज़्यादा मात्रा में शराब के सेवन से ब्लड प्रेशर लो हो सकता है, इसलिए सीमित मात्रा में सेवन करने से हाइपोटेंशन को रोका जा सकता है।
  • धीमी गति से चाल-फेर: देर तक लेटे रहने के बाद अचानक उठने पर ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन की अवस्था उत्पन्न होती है, जिससे अचानक से बीपी लो हो सकता है; इससे बचने के लिए धीरे धीरे उठें।
  • गर्म पानी में ज़्यादा देर न नहाना: गर्मी के कारण रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं, जिससे बीपी में गिरावट आती है।

निष्कर्ष

वैसे तो हाइपरटेंशन की तुलना में लो ब्लड प्रेशर की चर्चा अक्सर कम चर्चा की जाती है, लेकिन अगर लो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित नहीं किया जाता है तो यह व्यक्ति के स्वास्थ्य और रोज़मर्रा की जिंदगी पर काफी हद तक असर डाल सकता है। लो ब्लड प्रेशर के लक्षणों की पहचान करके, लो ब्लड प्रेशर के कारणों को समझकर और लो ब्लड प्रेशर के उपचार के विकल्पों पर विचार करके हाइपोटेंशन से असरदार तरीके से निपटना संभव हो सकता है। पर, इसके लिए हमेशा स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से ही सीधी सलाह लेनी चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति की ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं।

अपने ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने के लिए कई तरीके हैं, जिनमें जीवनशैली में बदलाव, आहार में बदलाव और चिकित्सा उपचार शामिल हैं। ऐसा करके आप अपने संपूर्ण स्वास्थ्य और खुशहाली में सुधार कर सकते हैं।

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